Tuesday, 4 September 2012

LORD SHIV JEE KA ARTI


कौन कहता है भक्ति करना और ईश्वर को खुश करना मुश्किल काम है. अगर दिल में भक्ति है तो मंदिर–मस्जिद में भगवान को ढूंढ़ने की जरुरत ही नहीं. और कई बार लोगों का कहना होता है कि भगवान जल्दी खुश नहीं होते पर यह गलत है. कभी शंकर जी की पूजा करके देखिए. मात्र बेल के पत्तों और भांग जैसी छोटी चीजों से भी प्रसन्न होने वाले शंकर जी हिन्दुओं के एक प्रमुख भगवान होने के साथ सबसे भोले भी माने जाते हैं. शंकर भगवान को शिव, महादेव, नीलकंठ जैसे नामों से तो जाना ही जाता है साथ ही उनका एक नाम भोले शंकर है जो उनके भोले स्वभाव को दर्शाता है.

भगवान शिव को जहां एक तरफ क्रोध और कोप का देव माना जाता है वहीं दूसरी ओर उन्हें एक ऐसा देव भी माना जाता है जो सुर और असुर दोनों की मनोकामना पूरी करते हैं और उनके लिए कोई छोटा या बड़ा नहीं है. भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती हैं और पुत्र गणेश और कार्तिकेय. भगवान शिव के मन्त्र-उपासना में पंचाक्षरी मंत्र नम: शिवाय तथा महामृत्युंजय विशेष प्रसिद्ध हैं.

अगर आपको भी लगता है कि भगवान की भक्ति करनी मुश्किल है या उन्हें प्रसन्न करने में बहुत तपस्या करनी पड़ती है तो अपने इस विचार को दूर करके भगवान शिव की आराधना कीजिए.

shivajpg
शंकर जी की आरती

जय शिव ओंकारा
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा ।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला ।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे ।
कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥
ॐ जय शिव ओंकारा.

No comments:

Post a Comment